गाँव की गोरी का प्यार.....
हरयाणा के एक गाँव की मैं एक छोरी (लड़की, लौंडिया, गिर्ल) जो गाँव में ही पली बड़ी हुई! 10th तक पढने के बाद गाँव में कोई कॉलेज ना होने से मैं आगे नहीं पढ़ पाई! देखने में मैं एक अच्छी खासी 5 फीट, 5 इंच हूँ, मेरा छरहरा बदन और सावला रंग देखकर आज भी, गाँव या शहर के लौंडे (लड़के, बॉयज) मुझ पर फ़िदा हो जाते हैं! क्यूंकि मैं 25 साल की कुवारी हूँ!

बात 5 साल पहले की है, जब मैं 20 साल की थी, और हमारे गाँव में मेरे चाचा जी की लौंडिया की शादी थी! सभी लोग बड़े ही खुश थे! चाचा चाची, ताऊ ताई मेरे माँ बाप सभी लोग उत्साहित थे! शादी का दिन भी करीब आ रहा था, और हम सभी की शादी की तैयारिया जोर शोर से चल रही थी!

शादी वाले दिन मैं सज धज कर तैयार थी, बरात भी आने वाली थी! और हम सब गेट पर लौंडे वालो का इंतज़ार करने लगे! बरात आयी और उनमे से एक लौंडा जो कि चिकना लगा रहा था, और मुझे बार बार देख रहा था, अच्छा लगा! मैंने उस लौंडे को कोई भाव नहीं दिये अपने और काम में लग गयी! शाम के 9 बज चुके थे और लौंडे वाले अपना खाना पीना कर रहे थे कि, वही चिकना लौंडा मेरे पास आया और बोला कि, मैं आज बहुत सुन्दर लग रही हूँ! मैं शर्मा गयी और छत पर चली गयी!

मेरे दिल में कुछ अरमान तो थे ही कि, मैंने उस चिकने लौंडे को इशारा करके उपर बुला लिया! और अब हम दोनों बात करने लगे! चाचा चाची, ताऊ ताई और अपने माँ बाप को व्यस्त देखकर हम दोनों, गाँव के लोगो की नज़र बचाकर शादी के पंडाल से बाहर आ गये! मुझे वो लौंडा अच्छा लगा रहा था! वो लौंडा दुल्हे का चचेरा भाई था और 23-24 साल का था! वो अपनी कार लेकर आया हुआ था! शादी के पंडाल से बाहर आकर ऐसा लगा जैसे मच्छर हम दोनों को काट रहे हो, तभी उसने मुझे कार में चलने को कहा! एक बार को मैं डर गयी, लेकिन उसने मुझे विश्वास दिलाया तो, हम दोनों उसकी कार में बैठ गये!

मुझे उस लड़के से बात करना अच्छा लगा!. गाँव के लोग हमे ना देख ले इसलिए, उसने मेरा गाँव देखने की बात कही, मैं भी तैयार हो गयी! गाँव की उबड़ खाबड़ रास्तो (सडको) पर उसकी गाडी में सवार, मैं उसे अपने गाँव के द्रश्य रात के अँधेरे में दिखाने लगी! मेरे गाँव के ही पास एक पर्चुनिये की दूकान थी, उसने पर्चुनिये की दूकान से पहले ही अपनी गाडी रोकी, और कुछ चिप्स लाने चला गया! हम दोनों अब रात को ही, गाँव के बाजार के पास से होते हुए, 45 मिनट्स में वापस आ गये! उसने गाडी एक सुनसान जगह रोकी और बोला कि, तुम मुझे अच्छी लग रही हो! मैंने भी उत्तर दिया तुम भी!

मैं गाडी से बाहर जाने के लिए जैसे ही मुड़ी, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और बोला एक बार गले तो लग जाओ! मुझे उस लौंडे की उस बात पर बहुत गुस्सा आया ही था कि, वो समझ गया और सॉरी कहने लगा! उसका सॉरी कहना ही मेरे लिये बहुत अच्छा था! शायद उसके उस सॉरी ने ऐसा जादू किया कि, मैं उस लड़के से गले लगे बिना नहीं रह पाई! मैं चुपचाप शादी के पंडाल में आ गयी और घरवालो के साथ मिल गयी!

वो लड़का अब मुझे देखता ही रहा और मैं उसे! रात करीब 11 बजे फेरो से पहले, खाने के समय वो मुझे फिर मिला और बोला कि, क्या हम 15-20 मिनट्स एक साथ अकेले में बात कर सकते हैं? मैंने कहा देखती हूँ! इतना कह कर मैं चली गयी! खाना खा कर गाँव के लोग वापस अपने घर जा रहे थे और कुछ जा चुके थे! भीड़ भी छट चुकी थी

मैंने सभी घर वालो को व्यस्त देखा और उस लड़के को इशारा करके बाहर मिलने को कहा! वो आ गया और हम दोनों फिर उसकी कार में बैठ गये! वो लड़का शायद पागल हो चुका था! गाडी में बैठते ही हम दोनों गले लगे और एक दुसरे को चूमने लगे, मुझे नहीं मालूम क्या हो रहा था! और उस लड़के ने कार में ही मेरे साथ वो कर दिया जो नहीं होना चाहिये था!

उस समय मैं भी अपनी जवानी के नशे में चूर थी, और समय भी वही कह रहा था! मैंने उस समय का आनंद तो लिया लेकिन, वो लौंडा मुझे उसके बाद कभी नहीं मिल पाया! उसने झूठ बोला था कि, वो मेरी चचेरी बहन के पति का चचेरा भाई है! मैं लुट चुकी थी, और किसी से इस बात का ज़िक्र भी नहीं कर सकती हूँ! मैं आज भी अकेली हूँ और एक ऐसे इंसान को, जो मुझे समझ सके प्यार करना चाहती हूँ!


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