कमर के दर्द की अनोखी दवा...
सुबह उठा तो पाया कि कमर में काफी दर्द है. पर करता क्या, उस दिन जाना जो था डेंटिस्ट से अपॉइंटमेंट जो ली हुई थी. जैसे-तैसे, अपनी कमर के दर्द को भुला कर, मैं डेंटिस्ट के पास जाने के लिए तैयार हुआ. दर्द कम करने के लिये, मैंने एक दवा भी ले ली. यह मेरी डेंटिस्ट के साथ पहली मुलाकात थी.

डेंटिस्ट के क्लिनिक पर पहुच कर मैंने बठने के लिए एक आरामदायक जगह चुनी, जहाँ पर मैं अपनी कमर को रेस्ट दे सकूं. क्लिनिक पर ज़यादा भीड़ नहीं थी. मेरा नंबर जल्द ही आ गया. रिसेप्शन पर बेठी लड़की ने मेरा नाम ले कर बुलाया, और कहा कि मैडम मुझे अन्दर बुला रही है. "मैडम" - यह शब्द सुन के मैं थोडा हैरान हुआ. क्यूंकि, यह अपॉइंटमेंट मेरे दोस्त ने फिक्स की थी, इसलिए मैं यह नहीं जनता था की डेंटिस्ट एक औरत है. ख़ैर, मैं अपनी कमर पकड़ कर, किसी तरह दरवाज़े तक पंहुचा, और पहुँच कर बोला - "मैडम, may I come in"?

कुछ, मेरी ही उम्र की होगी वो लड़की (डेंटिस्ट). लाल सलवार कमीज़, जुल्फे कुछ बिखरी हुई सी और काम में मशरूफ. उसने, सिर्फ अपनी नज़रे उठा कर मेरी तरफ देखा और बोली, “yes, please come in”. अब मैं एक बेहद ही खूबसूरत लड़की के साथ, उसके ही कमरे में, बिलकुल अकेला था. "आप प्लीज लेट जाये", उस ने कहा. मैं यह सुन कर थोडा "narvous" हुआ और सीट पर लेट गया. अब वो ग्लव्स पहन रही थी और ऊपर की लाइट एडजस्ट कर थी. मैं, लेटे-लेटे उसकी सुन्दरता को निहार रहा था. "आप बहुत ही छोटी उम्र में डेंटिस्ट बन गयी", मैंने कहा. इस बात पर वो थोडा मुस्करायी और कुछ नहीं बोली. कुछ देर की ख़ामोशी के बाद, मैंने फिर पुछा कि मुझे दर्द तो नहीं होगी. इस पर वो बोली, “आप घबराये नहीं”. उसकी यह बात सुन कर मुझे कुछ राहत आई.

अब मेरा मुह खुला हुआ था और वो डॉक्टर मुझ पर काम कर रही थी. मैं उस के बहुत ही करीब था, इतना करीब, कि मैं उसकी सासों को महसूस कर सकता था. वो अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रही थी, पर मरे दिल में तो कुछ और ही चल रहा था. मैं लेटा-लेटा, उसकी वो बड़ी-बड़ी आखें देख रहा था. उसकी आखें सचमुच बहुत सुन्दर थी. मद्धम रौशनी और थोड़ी मदहोशी में, वो और भी खूबसूरत लग रही थी. उसका शरीर बार-बार मुझे छू रहा था. मुझे उस का हर स्पर्श महसूस हो रहा था. उस वक़्त मैं एक अजीब सी मदहोशी में था. मैं बस उसके साथ रहना चाहता था और उसके स्पर्श का भरपूर आनंद लेना चाहता था.

आखिरकार, उसके साथ बताये हुए समय की समाप्ति हुइ. उसने अपना हाथ दे कर मुझे उठने में सहायता की और पूछा, “आप कैसा महसूस कर रहे हैं”. मैंने उसका शुक्रिया अदा करते हुए कहा, “बहुत अच्छा”.

मैं उसकी यादों में खोया हुआ घर पंहुचा. सारा दिन उसी के मीठे-मीठे सपनो में रहा. रात को सोने से पहले मैं उसे याद कर रहा था और अचानक मुझे महसूस हुआ कि मैं अपने कमर के दर्द के बारे में तो भूल ही गया हूँ.

मुझे यकीन नहीं हो रहा था की एक मीठी सी मुलाकात मेरे कमर के दर्द की दवा बन जाएगी...


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